Class 12th History Chapter 4 vVI objective Question 2023
1. आर्यों की सभ्यता किस नाम से जानी जाती है?
a. ताम्रपाषाणिक सभ्यता
b. नवपाषाणिक सभ्यता
c. वैदिक सभ्यता
d. हड़प्पा सभ्यता
2. सर्वमान्य मत के अनुसार आर्य कहां के मूल निवासी थे?
a. बाल्मीकि यूरोप
b. मनु अफ्रीका
c. मध्य एशिया
d. दक्षिण पूर्वी एशिया
3. आर्यों की सबसे प्रमुख पशु कौन था?
a. गाय
b. बैल
c. सांड
d. घोड़ा
4. ऋग्वेदिक आर्यों के युद्ध देवता कौन थे?
a. इंद्र
b. वरुण
c. अग्नि
d. रुद्र
5. आर्यों के प्रिय पेय क्या था?
a. सोमरस
b. दूध
c. सुरा
d. इनमें से कोई नहीं
6. निम्न में से प्राचीनतम वेद कौन है?
a. सामवेद
b. ऋग्वेद
c. अथर्ववेद
d. यजुर्वेद
7. प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन कहां हुआ था?
a. राजगृह
b. पाटलिपुत्र
c. वैशाली
d. श्रीनगर
8. द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन कहां हुआ था?
a. राजगृह
b. पाटलिपुत्र
c. वैशाली
d. श्रीनगर
9. गौतम बुध के समकालीन मगध सम्राट था?
a. चंद्रगुप्त मौर्य
b. बिंबिसार
c. अजातशत्रु
d. अशोक
10. त्रिरत्न किस धर्म से संबंधित है?
a. बौद्ध धर्म
b. जैन धर्म
c. शैव
d. वैष्णव
history all most important question 2023
11. महात्मा बुध के बचपन का नाम क्या था?
a. वर्धमान
b. सिद्धार्थ
c. देवदत्त
d. राहुल
12. गौतम बुध किस कुल से संबंधित हैं?
a. शाक्यकूल
b. ज्ञात्रिक कुल
c. कोलिय कुल
d. मौरिया कूल
13. वैदिक सभ्यता थी?
a. नगरीय
b. ग्रामीण
c. शिकारी
d. इनमें से कोई नहीं
14. महावीर ने पार्श्वनाथ के सिद्धांतों में नया सिद्धांत क्या जोड़ा?
a. अहिंसा
b. ब्रह्मचर्य
c. सत्य
d. अपरिग्रह
15. धर्म चक्र परिवर्तन क्या है?
a. मोक्ष की प्राप्ति
b. प्रथम उपदेश
c. आचार संहिता
d. संघ का संगठन
16. गौतम बुद्ध ने बौद्ध संघस्थापना कहां की थी?
a. बनारस में
b. सारनाथ में
c. राजगृह में
d. चंपा में
17. तीसरी बौद्ध संगीति का आयोजन कहां हुआ था?
a. राजगृह
b. पाटलिपुत्र
c. वैशाली
d. श्रीनगर
18. निम्न में से कौन गौतम बुध के शिष्य थे?
a. आनंद एवं उपाली
b. कश्यप
c. सारिपुत्र एवं गौद्रलायन
d. उपरोक्त सभी
19. वेद का अर्थ है
a. ज्ञान
b. कर्म
c. पूजा
d. सुनना
20. ऋग्वेदिकसमाज था।
a. पितृसत्तात्मक
b. मातृसत्तात्मक
c. पत्नी प्रधान
d. इनमें से कोई नहीं
12 history chapter 4 VVI subjective question 2023
1.) महात्मा बुध के जीवन और शिक्षाओं की विवेचना करें।
अथवा
(बुद्ध का इतिहास तथा गौतम बुध के उपदेशों का वर्णन करें )
उत्तर:- जैन धर्म के समकालीन बौद्ध धर्म का विकास हिंदू धर्म से व्यापततत्कालीन कर्मकांड तथा अन्य जटिलताओं के विरोध में उत्पन्न हुआ यह भारत में ही नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षो के दौरान मध्य एशिया होते हुए श्रीलंका जापान कोरिया तथा चीन तक फैल गया-
( • ) गौतम बुध का जीवनी- गौतम बुध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ इन के बचपन का नाम सिद्धार्थ था तथा इनके पिता का नाम शुद्धोधन व माता का नाम महामाया था गौतम बुध के जन्म के सातवेंदिनही उनकीमाता देहांत हो गए अतः उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने इनका पालन पोषण किया। गौतम बुध के जन्म के समय में ही यह भविष्यवाणी किया गया था कियेया तोचक्रवर्ती राजा बनेंगे अथवा सन्यासी गौतम बुध बचपन से ही काफी चिंतनशील थे तथा अकेले रहना पसंद करते थे इसलिए राजा को इससे चिंता हुई और 16 वर्ष की अवस्था में गौतम बुध का विवाह यशोधरा से करा दिया गया उनका एक पुत्र भी प्राप्त हुआ जिसे उन्होंने मोह माया काराहु माना इसलिए उसका नाम राहुल र रख दिए।
गौतम बुध एक बार नगर भ्रमण की ओर प्रस्ताव करते हैं नगर भ्रमण में बुध रोगी तथा मृत्यु के दृश्य को देखकर वे बड़े दुखी हुएऔर सोचने लगे कि संसार इन दुखों से किस प्रकार मुक्त हो सकता है उसी समय उन्हें एक सन्यासी का दर्शन हुआ जो कठिन तप के द्वारासांस्रिकबंधुओं को छोड़कर मोक्ष की प्राप्ति में लगा था गौतम बुध चौथे दृश्य को देखकर बहुत प्रभावित हुए इसी से उन्होंने गृह त्याग का निश्चय कर लिया एक रात अपनी पत्नी और पुत्र को सोता हुआ छोड़कर 29 वर्ष की आयु में वे वनों की ओर चल दिए।
continue read.......
इस घटना को महाभिनिष्क्रमण कहते हैं अर्थात महान त्याग कहते हैं 6 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद भी जब उनके ज्ञान की ज्ञान पिपासा न भरसकतोवे उरुवेला( आधुनिक बोध गया के पास फल्गु नदी के किनारे ) और पीपल वृक्ष के नीचे ध्यान मग्न हो गए अंततः आठवें दिन वैशाख पूर्णिमा के दिन सत्य का प्रकार दिखाई पड़ा और सर्वोच्च ज्ञान की प्राप्ति हुई तब से उन्हें बुध ( ज्ञानी पुरुष ) तथा तथागत ( ( वह जो सत्य को प्राप्त करें ) इस घटना को निर्वाण कहते हैं। ज्ञान प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश अपने पांच शिष्योंसारनाथ में दिया और इस घटना को धर्म चक्रप्रवावर्तन कहते हैं |जीवन के अंतिम समय में उदर विकार से पीड़ित हो गए इसी अवस्था में वह कुशीनगर आए यहीं पर 483 ईसा पूर्व 80 वर्ष की अवस्था में उनकी मृत्यु हुई इनके देहांत कोमतावलंबि महापरिनिर्वाण कहते हैं |
( • ) महात्मा बुध के उपदेश, शिक्षाएं एवं सिद्धांत- गौतम बुध का उपदेश एवं शिक्षाएं चार आर्य सत्य तथा अष्टांगिक मार्ग पर आधारित है|अतः इनका 4 आर्य सत्य निम्नलिखित है–
1) संसार में दुख है
2) दुखों का कारण तर्ष्णा है
3) इन वासनाओं को मार कर दुख दूर किया जा सकता है
4) इन वासनाओं को अंत करने के लिए हमें अष्टांगिक मार्ग को अपनाना होगा |
• गौतम बुद्ध ने दुख निवारण हेतु अष्टांगिक मार्ग को अपनाने पर बल देते हैं इसी अष्टांगिक मार्ग को मध्य मार्ग भी कहा जाता है अतः प्रमुख अष्टांगिक मार्ग निम्नहैं–
1) सम्यक दृष्टि
2) सम्यक संकल्प
3) सम्यक वचन
4) सम्यक आचरण
5) सम्यक प्रयत्न
6) सम्यक जीवन
7) सम्यक् स्मृति
8) सम्यक समाधि
2.) मानव के कितने आश्रम है |
उत्तर :- मानव के चार आश्रम हैं
1) ब्रह्मचर्य आश्रम – जन्म से 25 वर्ष
2) मत्स्य आश्रम- 25 से 50 वर्ष
3) वानप्रस्थ आश्रम – 50 से 75 वर्ष
4) संयास आश्रम – 75 से मृत्यु तक
3.) सांची और अमरावती के स्तूप की खोज किस प्रकार की गई।
उत्तर:-
अस्तुप – अस्तुप का प्रारंभिक स्वरूपअर्ध गोलाकार होता है जिसे बाद में अंड कहा गया है अड के ऊपर एक और संरचना होती थीजिसे हार्मिका कहा जाते हैं हार्मिका छज्जे जैसी संरचना होती थी यह स्तूप का महत्वपूर्ण भाग माना जाता था इसी प्रकार के स्तूप सांची तथा अमरावती में खोजे गए अतः इसका खोज निम्नलिखित कारणों व प्रकार से किया गया :-
1) सांची का स्तूप :- साचीकी पहाड़ी मध्य प्रदेश के रायसेन जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर की ओर स्थित है भोपाल में स्थित सांची के स्तूप ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है 1818 ईस्वी में ब्रिटिश सेना नायक जनरल ट्रेलर अब सांची नामक ग्राम की पहाड़ी पर पहुंचा तो वहां गुंबद के समान एक विचित्र टीला दिखाई दिया 1822 में इस टीले की खुदाई प्रारंभ कर दी गई।
2) अमरावतीस्तूप:- 1796 ईस्वी में एक स्थानीय राजा को आधुनिक महाराष्ट्र राज्य में स्थित अमरावती के स्तूप के अवशेषों का पता लगा उसने एक मंदिर के निर्माण में उन पत्रों का प्रयोग करने का निश्चय किया उन्हें ऐसा लगा कि इस छोटी सी पहाड़ी में संभवत कोई खजाना छुपा हो इस प्रकार खुदाई के बाद महत्वपूर्ण अवशेष प्राप्त हुए जिसमें कई मूर्तियां पाई गई इस प्रकार सांची तथा अमरावती के स्तूप की खोज अंजानो में हुईएक बार खोज हो जाने के बाद इसके इतिहास की जानकारी प्राप्त किया गया अर्थात सांची तथा अमरावती दोनों ही बौद्ध धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण स्थान है।
4.) महावीर स्वामी के अनुयायियों को जैन क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :- महावीर स्वामी जिन्हें वर्धमान भी कहते हैं वे 24 और अंतिम तीर्थंकर थे जैन धर्म वही होते हैं जैन का पाठ पड़ता है महावीर स्वामीअवसरपाणिके अंतिम तीर्थंकर थे महावीर का जन्म शाही परिवार में हुआ और फिर घर छोड़कर अधर्म की खोज में निकल पड़े महावीर स्वामी 30 वर्ष के उम्र में गृह त्याग करके लंगोटी तग का परिग्रह नहीं रखा पशु पक्षों में इनका जात पात बढ़ गया उसी युग में महावीर स्वामी का जन्म हुआ उन्होंने दुनिया का पाठ पढ़ाया वैशाली के पुराने शहर कुंडलपुर को उनका जन्मस्थान बताया जाता है।
5.) महात्मा बुध के चार मूल्य ( सत्य आर्य ) सत्य कौन सा है।
उत्तर:-
1) संसार में दुख ही दुख है
2) दुख का कारण तथालालस है
3) दुख का निवारण है
4) दुख निरोध हैतू अष्टांगिक मार्ग को अपनाना है
• इस दुनिया में दुख है तो उसका कारण है अगर कारण है तो उसका निवारण भी है निवारण है तो उसका उपाय हैं।
6.) सांची के अवशेषों को सुरक्षित करने में भोपाल की बेगमो ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा किए। इस कथन की उचित प्रमाण द्वारा पुष्टि करें।
उत्तर :- सांची के स्तूप की खोज 1818 ईसवी में किया गयायह साचीपहाड़ीमध्य प्रदेश रायसेन जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस भोपाल की बैगमि ने पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात किया तथा सांची स्तूप के संरक्षण के लिए भोपाल की बेगमोनेमहत्वपूर्ण योगदान दिए जो निम्नलिखित हैं।
1) संरक्षण के लिए योगदान:- सांची के स्तूप के संरक्षण में शाहजहां बेगम तथा उनकीपुत्रधीकरनीसुल्तान शाहजहां बेगम ने सांची स्तूप के संरचना के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिए उन्होंने प्राचीन स्थलों के रखरखाव में धन का अनुदान दिया।
2) प्रकाशन के लिए योगदान:- अब जॉन मार्शल सांची के स्तूप पर विस्तृत ग्रंथ लिखा तो उसने प्रकाशन में सुल्तान जहां बेगम ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया इसलिए जॉन मार्शल ने अपने महत्वपूर्ण ग्रंथों को सुल्तान जहां बेगम को समर्पित कर दिया।
3) संग्रहालय एवं अतिथिके लिए योगदान:- सुल्तान जहां बेगम ने वहां पर एक संग्रहालय एवं अतिथि साला बनाने के लिए भी योगदान दिया।
4) बाहरी हस्तक्षेप पर रोक :- भोपाल की बेगम ने प्रयास से सांची का स्तूप सुरक्षित रहा और किसी विदेशी लोगों का हाथ ना लग सका क्योंकि उस समय खुदाई में प्राप्त मूर्तियां को लंदन भेज दिए जाने का सुझाव दिया गया था।
5) फ्रांसिसयोकोइज्जत नदेना:- फ्रांसिस को सांची स्तूप के तोरणद्वारों मैं विशेष दिलचस्पी थी इसलिए उन्होंने भोपाल के नवाब शाहजहां बेगम से इसे फ्रांस ले जाने की इजाजत मांगी परंतु शाहजहां बेगम ने इजाजत नहीं दिया
• इस प्रकार सांची के स्तूप को संरक्षित करने में भोपाल की बेगम को महत्वपूर्ण भूमिका रहा अर्थात भोपाल की सासीकाओद्वारा दिए गए योगदान और अन्य प्रस्थिति के अनुकूल होने की वजह से यह महत्वपूर्ण विरासत खत्म होने से बच गई।
7.) जैन धर्म के त्रिरत्न से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :- जैन धर्म के त्रिरत्न से हम यह समझते हैं कि-
- जैन धर्म के त्रिरत्न
- सम्यक दर्शन
- सम्यक ज्ञान
- सम्यक आचरण
- सम्यक दर्शनकरेंगेउसकेबाद ज्ञान उसके अनुसार आचरण प्राप्त होते हैं जैसे शिक्षक के पास जाएंगेउनसे दर्शन करेंगे उसके बाद उनसे अच्छा आचरण करेंगे यही है जैन धर्म के त्रिरत्न के कारण इस प्रकार से ही है|
8.) जैन धर्म में अहिंसा एवं तप पर अधिक बाल क्यों दिया है ?
उत्तर :- जैन धर्म में अहिंसा एवं ताप पर अधिक बल इस लिए दिया क्योंकि जैन धर्म का इतिहास करीब 250 साल पुराने हैं जैन धर्म का स्थापना भगवान ऋषि देव ने किए थे जैन धर्म के अनुयाई दो तरह के होते हैं (a) स्वेतांबर जैन (b) दिगंबर जैन कहां जाता हैंजैन धर्म के लोग काफी अमीर माने जाते हैं जैन धर्म में दयालु का पहला स्थान दिया गया है यहां तक पशु पशु आदि को मारना पाप माना जाते हैं जैन धर्म में व्रत का नियम काफी कठोर है बिना पानी पिए खाए व्रत रखने पड़ते हैं यह व्रत 8 से 30 दिन की भी हो सकती है जैन धर्म के अनुयाई मृत्यु होने तक खाने का त्याग करते हैं एक तरह से आम हरण संथर होता है इसे मोक्ष प्राप्ति का उपाय भी माने जाते हैं। जैन धर्म के संस्थापक को तीर्थकर माना जाता हैं जैन धर्म में 24वें तीर्थंकर माने गए हैं और महावीर जैन को आर्थिकतीर्थकर माना गया है था।
• जैन धर्म के पांच महाव्रत •
1) अहिंसा
2) सत्य
3) चोरी ना करना
4) अपरिग्रह
5) ब्रह्मचर्य
• पार्श्वनाथ ने संयम एवं तपस्या पर बल देते हुए वृक्षों के लिए चार व्रत आवश्यक बताएं थे परंतु इन महाव्रत ओं के अतिरिक्त महावीर स्वामी ने इसमें पांचवा महाव्रत ब्रह्मचर्य को जोड़ा जो ऊपर है जिसका तात्पर्य है सामरिक विषय वासनाओं पर नियंत्रण रहनाअत: जैन से संबंधित पांच महाव्रत निम्नलिखित है जो ऊपर है।
9.) जैन धर्म के प्रमुख शिक्षाओं पर प्रकाश डालें।
उत्तर :- जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा यह है कि संपूर्ण विश्व प्राण वान है अर्थात पत्थर चट्टान जल पेड़ पौधा कीड़े मकोडेर इंसान जानवर सभी में जीवन है अतः जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत के अनुसार अहिंसा केंद्र बिंदु है अतः जैन मान्यता के अनुसार मनुष्य अपने कर्मों के कारण ही उन्हें बार-बार जन्म लेना पड़ता है कर्मों का नाश करके ही व्यक्ति बार-बार जन्म लेने के बंधन से छुटकारा पा सकते हैं इस अवधारणा जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं।
1) आत्मा का अस्तित्व:- महावीर स्वामी का आत्मा के अस्तित्व पर पूर्ण विश्वास था उसके अनुसार सृष्टि के कण-कण में आत्मा का वास होता है।
2) कर्म की प्रधानता और पुनर्जन्म में विश्वास :- जैन धर्म में मनुष्य का अगला जन्म उनके कर्म पर आधारित होते हैं अतः मनुष्य को हमेशा अच्छा कर्म करना चाहिए जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
3) मोक्ष या निर्माण :- सांसारिक बंधनों मुक्ति को ही मोक्ष निर्माण कहा जाता हैनिर्वाण प्राप्ति के लिए अच्छे कर्म मोह माया से छुटकारा पर बल दिया गया।
4) महाव्रत :- महावीर जैन ने पूर्व निर्धारित 4 महाव्रत के अतिरिक्त पांचवा महाव्रत ब्रह्मचर्य को जोड़कर उसके पालन का आदेश दिया है उनके अनुसार सभी बौद्ध विक्षुवोकोइन महाव्रत कापालन करना आवश्यक था।
5) त्रिरत्न:- महावीर स्वामी ने कर्म मरण के बंधन से छुटकारा पाने के लिए त्रिरत्न को अपनाने पर बल दिए हैं।
यह त्रिरत्न निम्नलिखित है-
A) सम्यक ज्ञान- पूर्ण एवं सच्चा ज्ञान
B) सम्यक दर्शन – तीर्थकरोमेंपूर्ण विश्वास
C) सम्यक चरित्र – सदाचारी जीवन
• इस प्रकार स्पष्ट है कि जैन धर्म की यह सभी शिक्षाएं दृढ़ता को प्रदर्शित करता है अर्थात जैन धर्म को मानने वाले सभी व्यक्ति इन्हें शिक्षाओं पर चलने का प्रयास करते हैं।